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खाद वितरण में गड़बड़ी करने वालों पर होगी कार्रवाई, देर रात मुख्यमंत्री डॉ मोहन ने की बैठक, दिए ये अहम निर्देश

हिमांशु सिंह राज्य ब्यूरो मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के सीएम डॉ मोहन यादव ने खाद वितरण में गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई के निर्देश दिए है। विदेश यात्रा से लौटने के बाद देर रात मुख्यमंत्री ने खाद को लेकर अधिकारियों के साथ की बैठक। उन्होंने खाद और उर्वरक वितरण व्यवस्था की विस्तार से समीक्षा की। इस दौरान सीएम ने कहा कि खाद्य वितरण में गड़बड़ी और कालाबाजारी वालों पर सख्त कार्रवाई हो।

शनिवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विदेश यात्रा से लौटते ही समत्व भवन सीएम निवास में उर्वरकों के वितरण की समीक्षा की। जिसमें बताया गया कि प्रदेश में पूर्व वर्ष में 470 उर्वरक विक्रय केंद्र थे। वर्तमान में प्रदेश में 761 विक्रय केंद्र और काउंटर्स द्वारा वितरण का कार्य किया जा रहा है। विपणन संघ, मार्केटिंग सोसायटी और एमपी एग्रो द्वारा केंद्रों का सुचारू संचालन किया जा रहा है। प्रदेश में गुणवत्ता नियंत्रण के अंतर्गत 10 हजार से अधिक नमूने विश्लेषित किए गए। साथ ही 45 लायसेंस निलंबित किए गए हैं।

अधिकारी सोशल मीडिया और जन-माध्यमों से प्राप्त शिकायतों पर लें संज्ञान

सीएम ने कहा कि सोशल मीडिया पर और अन्य जनमाध्यमों से उर्वरक वितरण की शिकायतें प्राप्त होने पर सभी संबंधित विभागों और एजेंसियों के अधिकारी अविलंब संज्ञान लें और शिकायतों को दूर करें। बैठक में बताया गया कि प्रदेश में गत वर्ष से अधिक मात्रा में उर्वरक वितरण हो चुका है। फसलों की बोवनी लगभग दो तिहाई क्षेत्र में हो चुकी है। प्रदेश में 28 नवंबर 2024 तक 32.44 लाख मीट्रिक टन उर्वरक उपलब्ध हैं। इनमें 21.34 लाख मीट्रिक टन का विक्रय हो चुका है और 11.10 लाख मीट्रिक टन उर्वरक शेष है। दिसंबर माह में इनकी उपलब्धता लगभग 20 लाख मीट्रिक टन रहेगी।

 

CM केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री नड्डा और रेल मंत्री वैष्णव से करेंगे आग्रह

मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में किसानों को वितरण के लिए निरंतर और नियमित रूप से आवश्यक उर्वरक प्राप्त हो रहे हैं। भविष्य में भी यह व्यवस्था सुचारू रहे, इस उद्देश्य से वे केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री जेपी नड्डा और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से आग्रह करेंगे। वर्तमान में प्रदेश में विभिन्न जिलों के लिए रेल से 11 रैक पाईंट के लिए यूरिया का प्रदाय हो रहा है। आगामी सप्ताह यूरिया सहित डीएपी, एनपीके और टीएसपी के रैक टीकमगढ़, निवाड़ी, रीवा, कछपुरा, झुकेही, शहडोल, इटारसी, गुना, अशोकनगर, मेघनगर, खंडवा, शाजापुर, मंडीदीप, खंडवा, ब्यावरा, शिवपुरी, डबरा, बैतूल आदि के लिए आएंगे। दिसंबर महीने के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है। केन्द्र सरकार का पूर्ण सहयोग मिल रहा है।

दोषियों के खिलाफ दर्ज प्रकरण व जिलों में हुए नवाचार

किसानों के हित में उर्वरक व्यवस्था पर नजर रखी जा रही है। दोषियों के विरूद्ध गत 7 दिवस में 11 एफआईआर दर्ज हुई हैं। इस सीजन में कुल 71 एफआईआर दर्ज हुई हैं। इनमें प्रदेश में उर्वरक के अवैध भंडारण पर 27, अवैध विक्रय पर 17, कालाबाजारी पर 10, अवैध परिवहन पर 7, अमानक उर्वरक पर 5, पीओएस मशीन से विक्रय नहीं करने पर 3 और नकली उर्वरक के विक्रय पर 2 एफआईआर दर्ज हुई हैं। प्रदेश भर में यह कार्यवाही निरंतर चल रही है। प्रदेश के कुछ जिलों में किसानों के हित में बेहतर वितरण व्यवस्था से संबंधित नवाचार किए गए हैं।

 

विदिशा जिले के कुरवई में खाद और बीज दुकानों की जांच कर सैम्पल लिए गए। जबलपुर में कालाबाजारी की शिकायतों पर सख्त कार्रवाई की गई। किसानों को फसलों में पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए वैकल्पिक उर्वरकों के इस्तेमाल का परामर्श भी दिया गया। छतरपुर जिले में अवैध भंडारण पर एफआईआर कर दोषी व्यापारियों पर केस दर्ज किए गए। आगर-मालवा, बैतूल, देवास, बालाघाट, बुरहानपुर, झाबुआ, शिवपुरी, मंदसौर, श्योपुर, हरदा और खंडवा जिलों में भी सख्त कार्रवाई कर अवैध व्यापार करने वालों को दंडित किया गया है। नवाचारों में टीकमगढ़ में काउंटर संख्या बढ़ाकर वितरण व्यवस्था को आसान बनाया गया। छिंदवाड़ा में रबी फसल की तैयारी के लिए किसानों के लिए मार्गदर्शी कार्यशाला आयोजित की गई।

CM के प्रमुख निर्देश

प्रदेश में जहां रेल के रैक आने में विलंब हो, वहां सड़क मार्ग से परिवहन कर उर्वरक पहुंचाएं।

केंद्रों की संख्या अधिक से अधिक हो। आवश्यकता हो तो किराए की दुकान लेकर भी वितरण कार्य किया जाए।

सोशल मीडिया पर और अन्य जन-माध्यमों से उर्वरक वितरण की शिकायतें प्राप्त होने पर सभी संबंधित विभागों और एजेंसियों के अधिकारी अविलंब संज्ञान लें और शिकायतों को दूर करें।

कृषि प्रदर्शनी और आधुनिक तकनीक से जुड़े यंत्रों का प्रदर्शन किसानों के समक्ष किया जाएगा।

फसल चक्र में बदलाव को प्रोत्साहित किया जाए।

कोदो-कुटकी उत्पादकों को प्रोत्साहित किया जाए।

प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन दिया जाए।

किसानों से उपार्जित खाद्यान्न के लिए भुगतान में विलंब न हो।

भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों और जन-प्रतिनिधियों का सहयोग प्राप्त किया जाए।

कॉन्टेक्ट फार्मिंग को भी प्रोत्साहित किया जाए।

किसानों के हित में सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं।

आगामी ग्रीष्म काल में मक्का उत्पादन को भी प्रोत्साहन दिया जाए।

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