आलू की बुवाई के 15 दिन बाद करें इस विधि से सिंचाई… नहीं लगेगा झुलसा रोग! पाला का असर भी होगा खत्म
खेती बाड़ी

आलू की फसल को हल्की लेकिन जल्दी सिंचाई की जरूरत होती है. आलू की बुवाई अच्छी नमी वाली मिट्टी में ही करें और पौधे निकलने के लगभग 15-20 दिन बाद सिंचाई करें. पहली सिंचाई के 15 दिन बाद दूसरी सिंचाई करनी चाहिए.
आलू की फसल के लिए सिंचाई बेहद जरूरी है. यह एक ऐसी फसल है जिसे लगातार नमी की आवश्यकता होती है. कम दिनों में किसानों को अच्छी आमदनी देने वाली फसल में सिंचाई का विशेष महत्व होता है, क्योंकि आलू में बहुतायत मात्रा में पानी पाया जाता है. ऐसे में जरूरी है कि आलू की फसल में सिंचाई का विशेषतौर पर ध्यान रखें और सिंचाई करते वक्त कुछ जरूरी बातों को बिल्कुल भी नजरअंदाज ना करें, अन्यथा आपकी फसल बर्बाद हो सकती है.
जिला उद्यान अधिकारी डॉ. पुनीत कुमार पाठक ने बताया कि आलू में 80 प्रतिशत पानी होता है. ऐसे में सिंचाई का विशेष तौर पर ध्यान रखें क्योंकि आलू की फसल में पानी कम या ज्यादा लगने के भी नुकसान और फायदे हैं. आलू में सिंचाई जितना बेहतर तरीके से कर होगा, उतना ही उत्पादन अच्छा और आलू की गुणवत्ता भी बेहतर होगी. हो सके तो किसान कूंड में सिंचाई करने के बजाय ड्रिप या मिनी स्प्रिंकलर से ही सिंचाई करें
जानें कब करें पहली सिंचाई?
अगर आलू की फसल बुवाई करते समय मिट्टी में नमी कम है तो तुरंत सिंचाई करनी चाहिए. अन्यथा 12 से 15 दिन बाद पहली सिंचाई करें. खासकर जब आलू 2 से 5% जमाव हो जाए, तब पहली सिंचाई करनी चाहिए. सिंचाई करते समय ध्यान रखें कि अगर कूड में सिंचाई कर रहे हैं तो एक तिहाई को सूखा रहना चाहिए और दो तिहाई कूड में ही पानी चलाएं. ऐसा करने से कूड बैठेगा नहीं, आलू की फसल से अच्छा उत्पादन मिलेगा.
ये विधि है सबसे कारगर
आलू की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए किसान पारंपरिक तरीके से सिंचाई करने की बजाय मिनी स्प्रिंकलर या ड्रिप से सिंचाई करें. ऐसा करने से 50% तक जल संरक्षण होगा. उसके अलावा आलू की फसल में अगेती झुलसा रोग और पछेती झुलसा रोग से भी बचाव हो जाएगा. इतना ही नहीं मिनी स्प्रिंकलर से सिंचाई करने से आलू का साइज बड़ा होगा, अच्छी गुणवत्ता वाला आलू पैदा होगा. आलू में मिट्टी नहीं चिपकती, जिसकी वजह से बाजार में अच्छा भाव मिलेगा. खास बात यह है कि मिनी स्प्रिंकलर से सिंचाई करने से 10 से 15% तक उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी. मिनी स्प्रिंकलर से सिंचाई करने से आलू की फसल को दिसंबर के महीने में पाला पड़ने की स्थिति में भी सुरक्षित रखा जा सकता है.